तुम्हारे स्वरूप के भय से चाँद-सितारे भागते हैं, हवाएँ बहती हैं, मेघ वर्षा करते हैं, बिजलियाँ चमकती हैं, सूरज रात और दिन बनाता है, ऋतुएँ समय पर अपना रंग बदलती हैं। उस आत्मा को छोड़कर औरों से कब तक दोस्ती करोगे? अपने घर को छोड़कर औरों के घर में कब तक रहोगे? अपने पिया को छोड़कर औरों से कब तक मिलते रहोगे....?
Pujya asharam ji bapu
Pujya asharam ji bapu
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